लखनऊ/ अयोध्या/ 25 नवम्बर 2025/ राम मंदिर अयोध्या में आज इतिहास रचा गया। प्राण प्रतिष्ठा के 673 दिनों बाद मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा फहराई गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभिजीत मुहूर्त में 22 फीट लंबी, 11 फीट चौड़ी और लगभग 3 किलो वजनी केसरिया ध्वजा का ध्वजारोहण किया। ध्वज 161 फीट ऊंचे शिखर पर फहरते ही अयोध्या जय श्रीराम के उद्घोष से गूंज उठी। इस पावन अवसर पर करीब 7000 अतिथि मौजूद थे, जिनमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल शामिल थे।
ध्वजारोहण से पहले प्रधानमंत्री मोदी सप्त मंदिर में सप्त ऋषियों के दर्शन के बाद रामदरबार में पूजा और रामलला की आरती करने पहुंचे। वे रामलला के लिए विशेष वस्त्र और चंवर लेकर आए थे। साकेत कॉलेज से रामजन्मभूमि तक उनके रोड शो में स्कूली बच्चों ने पुष्पवर्षा की और महिलाओं ने पारंपरिक स्वागत किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने 32 मिनट के भाषण में कहा कि सदियों की वेदना आज समाप्त हुई है और धर्मध्वजा भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि अयोध्या वह धरती है जहां आदर्श आचरण में बदलते हैं। राम युवराज थे लेकिन लौटकर मर्यादा पुरुषोत्तम बने। उन्होंने लार्ड मैकाले द्वारा 1835 में मानसिक गुलामी की नींव रखने पर बात करते हुए कहा कि 2035 तक हमें देश को इस मानसिकता से मुक्त करना है। उन्होंने कहा कि राम भेद नहीं, भाव से जोड़ते हैं और समाज को सामर्थ्यवान बनाने के लिए हर व्यक्ति के भीतर राम की स्थापना आवश्यक है।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन में जिन लोगों ने अपने प्राण और तप अर्पित किए, आज उनकी आत्मा तृप्त हुई होगी। उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण की शास्त्रीय प्रक्रिया आज पूर्ण हुई और यह अवसर उन सभी के तप का फल है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ध्वजारोहण यज्ञ की पूर्णाहुति नहीं बल्कि नए युग का शुभारंभ है। उन्होंने कहा कि 500 वर्षों में साम्राज्य बदले, पीढ़ियां बदलीं, लेकिन अयोध्या की आस्था अडिग रही। आज वही आस्था साकार हुई है। उन्होंने कहा कि कभी संघर्ष की प्रतीक रही अयोध्या अब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में वैश्विक सांस्कृतिक राजधानी बन रही है।
अयोध्या को 1000 क्विंटल फूलों से सजाया गया था। मंदिर परिसर में ATS, NSG, SPG, CRPF और PAC सहित पांच-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई। रामलला ने आज सोने और रेशम से निर्मित पीतांबर वस्त्र धारण किए। देशभर के संत उपस्थित रहे, हालांकि चारों शंकराचार्य नहीं पहुंचे। कई सेलिब्रिटीज को निमंत्रण भेजे जाने की चर्चा थी, लेकिन कोई नहीं आया।
धर्मध्वजा के शिखर पर फहरने के साथ ही राम मंदिर आज पूर्ण रूप से संपूर्ण घोषित हुआ और भारत ने श्रद्धा, मर्यादा और पुनर्जागरण के एक ऐतिहासिक क्षण को अपनी आंखों से देखा।













