जेएनयू में ABVP का विजय मार्च, हिड़मा के खात्मे पर सुरक्षा बलों की पूरे देश में सराहना
छत्तीसगढ़–आंध्र प्रदेश सीमा पर सुरक्षाबलों द्वारा किए गए सफल अभियान में कुख्यात माओवादी नेता और केंद्रीय कमेटी सदस्य माड़वी हिड़मा के मारे जाने के बाद पूरे देश में जवानों की बहादुरी की प्रशंसा हो रही है। इसी क्रम में बुधवार, 19 नवंबर को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने एक विजय मार्च का आयोजन किया। मार्च साबरमती टी-पॉइंट से शुरू होकर जेएनयू के मुख्य द्वार तक निकाला गया, जिसमें बड़ी संख्या में छात्रों ने हिस्सा लिया।
छात्रों ने “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम्” जैसे नारे लगाते हुए देश की आंतरिक सुरक्षा संभालने वाले जवानों के प्रति आभार व्यक्त किया। प्रतिभागियों का कहना था कि हिड़मा जैसे कुख्यात नक्सली का अंत शांति और स्थिरता की दिशा में एक बड़ा कदम है, क्योंकि वह लंबे समय से आम नागरिकों, सुरक्षा बलों और आदिवासी समुदाय पर हमलों का मास्टरमाइंड रहा था।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी इस ऑपरेशन की जमकर सराहना की है। उन्होंने कहा कि हिड़मा सहित छह नक्सलियों का मारा जाना नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक उपलब्धि है। सीएम साय ने इसे सुरक्षाबलों के अदम्य साहस और मजबूत इच्छाशक्ति का परिणाम बताया और जवानों को नमन किया।
ABVP जेएनयू अध्यक्ष मयंक पांचाल ने कहा कि हिड़मा का खात्मा सुरक्षा बलों की बड़ी सफलता है। उन्होंने याद दिलाया कि 2010 में जब दंतेवाड़ा में 76 CRPF जवान शहीद हुए थे, तब जेएनयू कैंपस में ‘लाल सलाम’ के नारे लगे थे और मिठाइयाँ बांटी गई थीं। उन्होंने कहा कि आज का जेएनयू बदल रहा है और यह मार्च उन विचारों को जवाब है जो जवानों के बलिदान का मजाक उड़ाते थे।
ABVP के मंत्री प्रवीण पीयूष ने भी कैंपस के कुछ वर्गों पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले जवानों की शहादत का अपमान करने वाली बातें कही जाती थीं। उन्होंने सोशल मीडिया पर हिड़मा के समर्थन में “लाल सलाम कॉमरेड हिड़मा” लिखने वाले छात्रों को नक्सलवाद समर्थक सोच करार दिया और कहा कि ऐसी मानसिकता के खिलाफ यह मार्च जरूरी है। ABVP उपाध्यक्ष उत्कर्ष ने कहा कि कैंपस में वर्षों से कुछ प्रोफेसर वर्ग नक्सलवाद को सही ठहराने की कोशिश करता आया है, लेकिन नक्सलवाद ने देश को भारी नुकसान पहुंचाया है और इसका विरोध जरूरी है।
ABVP कार्यकर्ता कृष्ण त्रिपाठी ने बताया कि सुरक्षा बलों ने हिड़मा को सामान्य कार्यकर्ता की तरह पहचानकर एक झोपड़ी में ढेर किया, जो उनके लिए बड़ी उपलब्धि है। वहीं, ABVP सदस्य मुजम्मिल ने कहा कि अब जेएनयू के छात्र स्पष्ट रूप से देख पा रहे हैं कि कौन देशहित में खड़ा है और कौन नक्सलियों के प्रति सहानुभूति रखता है।
मार्च के अंत में छात्रों ने मुख्य द्वार पर मौन रखकर उन जवानों को श्रद्धांजलि दी जो नक्सलवाद विरोधी अभियान में शहीद हुए। ABVP पदाधिकारियों ने कहा कि यह आयोजन केवल उत्सव नहीं, बल्कि संदेश है कि जेएनयू का छात्र समाज अब हिंसा, नक्सलवाद और देशविरोधी सोच के खिलाफ एकजुट हो रहा है। आगे भी ABVP राष्ट्रहित के मुद्दों को लेकर कैंपस में आवाज उठाता रहेगा।













